भागीरथ के बारे में जानकारी
परिचय:
राजा भागीरथ प्राचीन भारत के एक महान और तपस्वी राजा थे, जिनका उल्लेख पुराणों और रामायण में मिलता है। वे इक्ष्वाकु वंश के राजा थे और राजा सगर के वंशज थे। उनका सबसे बड़ा कार्य था — गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाना, जिससे उनके पूर्वजों का उद्धार हो सके।
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भागीरथ की कथा:
बहुत समय पहले राजा सगर ने एक यज्ञ किया था। उनके 60,000 पुत्र यज्ञ के अश्व (घोड़े) की तलाश में धरती से पाताल तक खोज करते गए। उन्हें वह घोड़ा ऋषि कपिल के आश्रम में मिला। उन्होंने समझे बिना ऋषि कपिल को दोषी ठहराया, जिससे ऋषि क्रोधित हो गए और सभी 60,000 पुत्र भस्म हो गए।
इनके उद्धार के लिए यह आवश्यक था कि गंगा जल से उनका तर्पण किया जाए, लेकिन गंगा तब तक स्वर्ग में थी। कई पीढ़ियाँ बीत गईं, लेकिन किसी में इतना बल नहीं था कि वह गंगा को पृथ्वी पर ला सके।
तब भागीरथ ने कठोर तप किया, ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने कहा कि गंगा का वेग धरती सहन नहीं कर सकती, इसलिए शिवजी को उसे अपनी जटाओं में धारण करना होगा। भागीरथ ने फिर शिवजी की तपस्या की। शिवजी प्रसन्न हुए और गंगा को अपनी जटाओं में समेट लिया, फिर धीरे-धीरे उसे धरती पर छोड़ा।
गंगा धरती पर उतरी और भागीरथ के पीछे-पीछे पाताल तक गई, जहाँ उसने राजा सगर के पुत्रों के भस्म को छूकर उन्हें मोक्ष दिलाया।
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भागीरथ का महत्व:
गंगा को धरती पर लाने वाले के रूप में उनका नाम अमर है।
"भागीरथ प्रयास" कहावत उन्हीं के नाम से जुड़ी है, जिसका अर्थ है — कठिन और धैर्यपूर्ण प्रयास।
उनके तप, श्रद्धा और कर्तव्य भावना का उदाहरण भारतीय संस्कृति में उच्च स्थान रखता है।
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निष्कर्ष:
राजा भागीरथ भारतीय संस्कृति के ऐसे आदर्श पात्र हैं, जिन्होंने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए असंभव को संभव किया। उनका जीवन हमें संघर्ष, तपस्या और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा देता है। इनसे हमे भी सीखना चाहिए
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