राम जी के जन्म की कहानी
भगवान श्रीराम के जन्म की कहानी (राम जन्म कथा)
भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। वे अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी रानी कौशल्या के पुत्र थे। यह कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में विस्तार से वर्णित है। नीचे सरल भाषा में राम जी के जन्म की कथा दी गई है:
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🌸 राम जन्म की पृष्ठभूमि:
अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं — कौशल्या, कैकेयी, और सुमित्रा, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी। इससे राजा बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए ऋष्यशृंग मुनि के मार्गदर्शन में एक पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया।
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🔥 पुत्रकामेष्टि यज्ञ:
यज्ञ के पूर्ण होने पर यज्ञ की अग्नि से एक दिव्य पुरुष प्रकट हुए और उन्होंने राजा दशरथ को एक पायस (खीर) का पात्र दिया और कहा, "इसे अपनी रानियों को खिलाओ, तुम्हें उत्तम संतान प्राप्त होगी।"
दशरथ ने वह पायस तीनों रानियों में बाँट दिया:
कौशल्या को आधा
कैकेयी को चौथाई
सुमित्रा को दो बार एक-आठवां (कुल आधा)
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👶 राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म:
कुछ समय बाद चारों रानियों को पुत्र प्राप्त हुए:
कौशल्या से – राम
कैकेयी से – भरत
सुमित्रा से – लक्ष्मण और शत्रुघ्न (क्योंकि उसे दो भाग पायस मिला था)
राम जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुण्यकाल में हुआ। यह दिन राम नवमी के नाम से जाना जाता है।
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🌞 राम जी का स्वरूप:
भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। वे धर्म, सत्य और मर्यादा का पालन करने वाले 'मर्यादा पुरुषोत्तम' कहलाते हैं। उनका जीवन आदर्श जीवन माना जाता है — पुत्र के रूप में, भाई के रूप में, पति के रूप में, और राजा के रूप में।
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